भगवान गणपति के हर अंग से ले सकते हैं बड़ी सीख, इन्हें धारण करने से बदल जाएगा जीवन

Ganesh Chaturthi 2022 वेद शास्त्रों में भगवान गणपति के शरीर का हर अंग और शस्त्र के सही मायने बताए गए हैं। जिनका पालन करके व्यक्ति अपना भाग्य जगा सकता है और हर तरह के कष्टों से छुटकारा पा सकता है।

 इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त से शुरू हो रहा है और 10 दिनों तक भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने का विधान है। देश के कोने-कोने में गणेश जी के पंडाल सजेंगे, तो घरों में भी गणपति बप्पा विराजेंगे। हर कोई बप्पा की भक्ति में डूबा रहता है। माना जाता है कि गणपति बप्पा को घर में स्थापित करने से रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ भी घर में विराजित हो जाते है। विघ्नहर्ता गणपति स्वरूप में चाहे जैसे भी है, लेकिन उनके इन शरीर से कुछ सीख लेकर अपने जीवन को पूर्ण रूप से बदल सकते हैं।

गणपति के खास मंत्र

  1.  गणेश चतुर्थी के दिन गणपति का मुख्य मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जाप जरूर करें. इसका जाप करने से जीवन के तमाम विघ्न समाप्त होते हैं.
  2. गणपति का षडाक्षर विशिष्ट मंत्र  ‘वक्रतुण्डाय हुं’ का जाप करना भी बेहद लाभकारी है. इस मंत्र का जाप करने से काम में आने वाली रुकावट दूर होती है. 
  3. रोजगार में दिक्कत आ रही हो तो गणेश जी के सौभाग्य मंत्र ‘ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’ का जाप करें. 
  4. विवाह में देरी हो रही हो तो ‘ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’ मंत्र का जाप करें. इससे आपको मनचाहा वर मिलेगा.
  5. घर में अक्सर कलह-क्लेश रहती हो तो गणेश चतुर्थी के दिन ‘ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा’ का जाप करें. आपकी सारी समस्या दूर होगी.

गणपति जी का प्रिय मोदक

भगवान गणेश को मोदक सबसे ज्यादा प्रिय है। मोदक का अर्थ है आनंद लेने वाला और मान का प्रतीक। इसी के कारण मोदक को ज्ञानमोदक भी कहते हैं। मोदक दर्शाता है कि व्यक्ति को जीवन में आनंद चाहिए तो उसे हमेशा शुद्ध और सात्विक होना चाहि

एक चूहा बना भगवान गणेश की सवारी

गणेश जी की सवारी मूषक मानी जाती है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में केतु का देवता श्री गणेशजी जी को माना जाता है।

भगवान गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। गणेश जी की सवारी मूषक मानी जाती है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में केतु का देवता श्री गणेशजी जी को माना जाता है। गणेश जी की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती है। क्या आपने सोचा है कि गणेश जी की सवारी एक चूहा क्यों हैं? आइए आज जानते हैं गणेश जी की सवारी कैसे बना मूषक-

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक आधा भगवान और आधा राक्षक प्रवृत्ति वाला नर क्रोंच था। एक बार भगवान इंद्र ने अपनी सभा में मुनियों की सभा बुलाई, जिसमें क्रोंच भी शामिल हुआ। सभा में गलती से क्रोंच का पैर एक मुनि के पैरों पर रख गया। इससे क्रोधित उस मुनि ने क्रोंच का चूहे बनने का श्राप दिया। जिसके बाद वह क्रोंच चूहा बन गया। क्रोंच ने मुनि से क्षमा मांगी, लेकिन वह अपना श्राप वापस नहीं ले पाए। लेकिन उस मुनि ने एक वरदान दिया कि आने वाले समय में वो भगवान शिव के पुत्र गणेश की सवारी बनेंगे।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार क्रोंच एक विशाल चूहा था। जो मिनटों में पहाड़ों को कुतर देता था। उसके रास्तों में जो भी आता उसे ढ़ेर कर देता था। उसके उस आंतक से सब परेशान हो चुके थे। एक दिन महर्षि परमार ने धरती पर भोग के लिए भगवान श्री गणेश को आमंत्रित किया। भोग के बाद मुनि ने इस चूहे के आंतक की कहानी गणेश की बात बताई। गणेश जी ने एक रस्सी की मदद से उस चूहे को पकड़ लिया और चूहे की पीठ पर बैठ गए। इसके बाद क्रोंच ने गणेश जी से अपने द्वारा किए गए  बुरे कार्यों के लिए माफी मांगी और हमेशा के लिए उनका वाहन बन गए।

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